2014 क्रिसमस पर श्री मृणालिनी माता का सन्देश

28 नवम्बर, 2014

“अपने हृदय को भक्ति की अग्नि से प्रज्वलित करें, ताकि आपके अन्तर् में क्राइस्ट की ज्योति प्रज्वलित हो सके... शरीर और श्वास से परे, आप क्राइस्ट शांति और आनंद की वह चिरस्थाई ज्योति हैं।”

क्रिसमस 2014

प्रकाश एवं आनंद के इस दिव्य समय में आपको प्रेमपूर्ण शुभकामनाएँ, जब हम उस क्राइस्ट चैतन्य (कूटस्थ चैतन्य) की आराधना करते हैं जो प्रिय प्रभु यीशु में पैदा हुई थी और प्रत्येक आत्मा में नए सिरे से प्रकट होने की प्रतीक्षा कर रही है। उस दिव्य चेतना को अपने जीवन में वास्तविकता बनाना एक दिव्य आश्वासन, इस अशांत संसार की निरंतर बदलती परिस्थितियों और मूल्यों के बीच सत्य और सुरक्षा के आंतरिक आश्रय का आनंद लेना है। मानव अस्तित्व की सभी अनिश्चितताओं के प्रति ईश्वर की दयालु प्रतिक्रिया ईसा मसीह जैसे दिव्य जनों के माध्यम से आती है, जो हमें अपने शाश्वत रक्षक और उपकारक के स्थाई, अमर प्रेम की याद दिलाने के लिए अवतार लेते हैं। जैसा कि बेथलहम के चारागाहों में चरवाहों के सामने उजागर किया गया था, पृथ्वी और स्वर्ग के बीच, हमारे दैनिक जीवन और पारलौकिक वास्तविकता के बीच कोई न पाटने योग्य खाई नहीं है। विनम्र ग्रहणशील हृदय के लिए, परमात्मा सदैव निकट हैं। हमें केवल रोजमर्रा की चिंताओं और जड़ पदार्थ के प्रभाव में संवेदनाशून्य हो चुकी इंद्रियों से परे अपनी दृष्टि उठानी होगी ताकि यह पता चल सके कि माया की छाया के ठीक पीछे ईश्वर की उपस्थिति का आत्मा को प्रकाशित करने वाला प्रकाश विद्यमान है; कि हमारी मानवीय विस्मृति के ठीक पीछे — विजय और असीम आनंद विद्यमान है।

जीवन की उथल-पुथल भरी सतह और अस्थाई भौतिक शरीर पर अत्यधिक केन्द्रित मन हमें चिंतित और असुरक्षित महसूस कराता है। क्राइस्ट का उदाहरण हमें अपने सच्चे अमर स्वरूप की असीम क्षमता की खोज करने के लिए प्रेरित करता है। गुरुदेव परमहंस योगानन्द ने एक बार कहा था, “हम शिशु जीसस को अपने पालने में असहाय मानते हैं…फिर भी उस छोटे रूप के भीतर अनंत क्राइस्ट, ब्रह्माण्ड का प्रकाश था।” हमारे अंदर भी वही प्रकाश, आनंद का वही अक्षय स्रोत और ईश्वर की अच्छाई को प्रतिबिंबित करने की शक्ति छिपी हुई है। इस पवित्र समय में जब क्राइस्ट-प्रेम के स्पंदन हमारे जीवन को आध्यात्मिक बनाने की हमारी इच्छा को सुदृढ़ करते हैं, हमारे पास उनकी सर्वव्यापी सहायता और हमारी अपनी भक्तिपूर्ण ग्रहणशीलता द्वारा, जीसस के दिव्य गुणों को अपनी चेतना में समाहित करने का ईश्वर-प्रदत्त अवसर है। आइए हम अपने मन को उनकी विनम्रता और सभी के प्रति करुणा की प्रेरणा से भरें, तथा उनके साहस एवं ईश्वर पर पूर्ण विश्वास से शक्ति प्राप्त करें। आइए हम अपने प्रेम और निःस्वार्थ समझ को क्षुद्र “मैं” के भ्रमपूर्ण दृष्टिकोण से परे विस्तारित करें, अपने भीतर क्राइस्ट-चैतन्य की लौ जलाएं जो हमारे दृष्टिकोण, हमारे सम्बन्धों, तथा जीवन पर हमारे समग्र दृष्टिकोण को शुद्ध और रूपांतरित कर देती है।

क्रिसमस का सर्वोच्च आशीर्वाद तब आएगा जब आप इस उत्सव के समय की गतिविधियों के बीच सार्वभौमिक क्राइस्ट-चैतन्य को अपनी आत्मा के भीतर मौन के गिरजाघर में आमंत्रित करने के लिए समय निकालेंगे। गहनतम ध्यान के अभयारण्य में, आप “शांति जो सभी समझ से परे है” का स्पर्श कर सकते हैं और उस सर्वसमावेशी प्रेम एवं शक्ति का अनुभव करना शुरू कर सकते हैं जो जीसस ने अपने मिशन को पूर्ण करने में आने वाली सभी बाधाओं का सामना करते हुए प्रकट किया था। जैसे ही वह ध्यान-जनित चेतना आपके अस्तित्व में व्याप्त हो जाती है, आपको यह बोध होगा, जैसा कि उन्होंने किया था, कि माया आपको डरा या रोक नहीं सकती। आप स्वयं को अहंकार के छोटे से आवरण से बाहर निकलकर अपनी आत्मा की मूल विशालता और स्वतंत्रता में — ईश्वर के सर्वव्यापी प्रकाश से चमकता हुआ पाएंगे। मैं प्रार्थना करती हूँ कि इस क्रिसमस पर आपको उस आंतरिक जागृति का जीवन-परिवर्तनकारी उपहार प्राप्त हो।

आपको और आपके प्रियजनों को दिव्य प्रेम और क्रिसमस की खुशियाँ,

श्री श्री मृणालिनी माता

 

कॉपीराइट © 2014 सेल्फ़-रियलाईज़ेशन फ़ेलोशिप। सर्वाधिकार सुरक्षित।

शेयर करें