क्रिसमस संदेश
बीस शताब्दी पूर्व जीसस का जन्म क्राइस्ट चेतना के पालने में हुआ। उनकी सार्वभौमिक क्राइस्ट चेतना, प्रत्येक प्रज्ञावान व्यक्ति में जीवित हो उठती है। आगामी क्रिसमस पर क्या आप तैयार हैं कि अपनी आत्मा को इतना विस्तृत करें कि स्वयं में, सर्वव्यापी क्राइस्ट को जन्म लेते देखें?
जीसस के जन्म को उपहारों, उत्सवों से मनाना कुछ सीमा तक, उनके जीवन आदर्शों के प्रति आदर और सम्मान दर्शाता है। लेकिन ध्यान द्वारा अपने मन को क्रिसमस के पावन अवसर पर तैयार करना ही, ताकि आप स्वयं में प्रेम पूर्ण नयी सार्वभौमिक चेतना का उदय होते देख सके, वास्तव में क्रिसमस मनाना है। अपने मन से अहंकार और पूर्वाग्रहों को निकाल दें, ताकि आप सही रूप से सर्वव्यापी क्राइस्ट चेतना को अपने प्रेम से परिपूर्ण हृदय में भर सकें।
यदि क्रिसमस पर, आप प्रलोभनों द्वारा परीक्षा में अपनी सशक्त इच्छाशक्ति को अविजित पाएं तो जान लें कि क्राइस्ट ने सचमुच आप में जन्म ले लिया है। यदि आगामी क्रिसमस पर आप बेचैनी की सूली पर चढ़ कर भी, आंतरिक शांति बनाए रखते हैं तो जान लें, क्राइस्ट आपके साथ हैं। यदि आप क्रिसमस पर, आक्रामक विचारों की व्यग्र भीड़ के बावजूद भी गहन आनंद पूर्वक ध्यान कर सकें तो जान लें कि क्राइस्ट ध्यान जनित दिव्य आनंद के रूप में आप में प्रकट हुए हैं।
जब दूसरों द्वारा दुष्टता की सूली पर चढ़ा कर आपको क्रोधित न किया जा सके, तो जान लेना कि आप क्राइस्ट के लिए तत्पर हैं। जब आप सदैव अपने प्रति किसी द्वेष के बावजूद सब के प्रति प्रेम का अनुभव करें, तो जान लेना कि आप में क्राइस्ट के लिए वेदी का सृजन हो गया है।
जब आप सदैव स्वयं में, एक अटूट ध्यान जनित आनंद का अनुभव कर सकें तो जान लें कि क्राइस्ट हमेशा आपके साथ हैं, और यह कि अपनी अमर चेतना में आप सच्चे क्राइस्ट अनुभव को हर क्षण, हर मिनट, हर दिन, हर वर्ष शाश्वत काल तक मनायेंगे।
(परमहंस योगानन्दजी की पुस्तक The Second Coming of Christ: The Resurrection of the Christ Within You में से उद्धृत)