“कोयले की टोकरी” — भारत की एक परम्परागत कहानी

09 नवम्बरम, 2023

एक दिन अपने शिष्यों को भगवद्गीता की शिक्षाएँ समझाने के उपरान्त ऋषिवर् उनकी प्रभातकालीन वन्दना देख रहे थे।

“प्रेमल, इतने उदास क्यों हो?” उन्होंने आश्रम में एक नवागत युवा प्रवेशार्थी से पूछा।

“गुरुदेव, मुझे गीता पर आपका उपदेश बहुत अच्छा लगता है, परन्तु बाद में इसमें से अधिकतर शिक्षाओं को मैं याद नहीं रख पाता हूँ। दूसरे शिष्य इन पवित्र शिक्षाओं पर आसानी से बातें कर लेते हैं, परन्तु मैं नहीं कर पाता।” प्रेमल ने निराशापूर्वक भूमि की ओर देखते हुए कहा। “मुझे ऐसा महसूस होता है कि मैं यहाँ के योग्य नहीं हूँ”

ऋषिवर् एक पल के लिए विचारमग्न हो गए, फिर उन्होंने कहा, “प्रेमल, मेरे लिए कोयले की टोकरी लाओ।” शिष्य को सेवा करना अच्छा लगता था। वह उत्सुकतापूर्वक कोयले की वह टोकरी उठा लाया, जिसे शिष्य अँगीठी तक कोयला ले जाने के लिए प्रयोग करते थे। टोकरी नित्य प्रयोग के कारण अन्दर से कोयले की धूल से काली हो गई थी।

“टोकरी को नदी के पानी से भरकर मेरे पास ले आओ।” शिष्य के चेहरे पर असमंजस के भाव देख उन्होंने फिर कहा, “वैसा ही करो, जैसा मैंने कहा।”

शिष्य ने टोकरी नदी में डाली, परन्तु सारा पानी, उसके लौटने से पहले ही बाहर रिस गया। “दुबारा करो,” ऋषिवर् ने आदेश दिया। शिष्य ने पाँच बार टोकरी पानी से भरी, तथा जबकि हर बार वह अधिक तेजी से दौड़ता, फिर भी टोकरी ऋषि के पास पहुँचने से पहले ही खाली हो जाती थी।

अन्ततः शिष्य ने कहा, “गुरुजी, आपने मुझे एक असम्भव कार्य दे दिया है। पानी को इस टोकरी में आप तक लाने का प्रयत्न करना व्यर्थ है।”

“तुम कहते हो यह व्यर्थ है?” ऋषिवर् उसकी ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए बोले। “टोकरी के अन्दर देखो।”

शिष्य ने देखा और टोकरी को अब कुछ भिन्न पाया। वह साफ थी। पानी ने काली धूल के सभी चिह्नों को धो दिया था।

ऋषिवर् ने समझाया, “जब हम भगवद्गीता पढ़ते हैं, तो तुम चाहे सभी कुछ याद न भी कर पाओ या समझ पाओ, फिर भी इसे केवल आदर तथा धैर्य से सुनना ही तुम्हारी चेतना को धीरे-धीरे परिवर्तित कर देता है, जब तक कि तुम्हारा हृदय नश्वर माया एवं भय से मुक्त न हो जाये।”

ऋषिवर् स्नेहपूर्वक अपना हाथ शिष्य पर रखते हुए बोले, “भगवान् कोई विद्वान् नहीं अपितु एक प्रेमी हैं। यदि तुम उन्हें ईमानदारी से ढूँढ़ोगे, तो एक दिन तुम देखोगे, कि उन्होंने तुम्हें तरह पूर्णरूपेण परिवर्तित कर दिया है।”

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