श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि के साथ संगम,
वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख
(वाईएसएस संगम 2023)

रविवार, 12 फरवरी – गुरुवार, 16 फरवरी 2023

(क्रियायोग दीक्षा – 15 फरवरी, 2023)

Sangam with YSS/SRF President Sri Sri Swami Chidananda Giri

कार्यक्रम स्थल

कान्हा शांति वनम्
हार्टफुलनेस का विश्व मुख्यालय
13-110, कान्हा गांव, नंदीगाम मंडल,
जिला रंगा रेड्डी
तेलंगाना – 509325

मानचित्र पर स्थान

पता

योगदा सत्संग शाखा मठ — रांची
परमहंस योगानन्द पथ
रांची 834001
झारखंड

फ़ोन

(0651) 6655 555
(सोम–शनि, सुबह 9:30 बजे – शाम 4:30 बजे)

ईमेल

अपने रचयिता को जानना सर्वोच्च उपलब्धि है। ईश्वर को तारों में, पृथ्वी में और अपनी भावनाओं की हर तरंग में खोजना सीखें। वह हमारे हृदयों में छिपे हुई सबसे उपेक्षित वास्तविकता हैं। यदि आप योगदा सत्संग के मार्ग का दृढ़ता से अनुसरण करते हैं, और नियमित रूप से ध्यान करते हैं, तो आप उन्हें प्रकाश के सुनहरे वस्त्र में अनंत काल तक फैला हुआ देखेंगे।

— परमहंस योगानन्द

कार्यक्रम के बारे में

हमारे पूज्य अध्यक्ष श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि ने जनवरी – फरवरी 2023 के दौरान भारत का दौरा किया। इस दौरान स्वामी चिदानन्दजी ने 12 से 16 फरवरी तक हैदराबाद में एक विशेष पांच दिवसीय संगम की अध्यक्षता की।

संगम के दौरान निम्नलिखित कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण किया गया :

  • स्वामी चिदानन्दजी तथा अन्य संन्यासियों द्वारा दिए गए प्रेरणाप्रद प्रवचन (जोकि अंग्रेज़ी में दिए गए हैं)
  • स्वामी चिदानन्दजी द्वारा संचालित 3 घंटे लम्बा विशेष ध्यान-सत्र
  • प्रतिदिन सुबह एवं शाम के ध्यान-सत्र

पूरे कार्यक्रम की अनुसूची नीचे दी गयी है।

कार्यक्रम की अनुसूची

सभी समय भारतीय समयानुसार हैं।

सभी प्रेरणाप्रद प्रवचन जिनका सीधा प्रसारण किया गया , बाद में भी देखने के लिए उपलब्ध होंगे।

 

वैयक्तिक

पहला दिन

रविवार, 12 फरवरी
सुबह 7:00 से 8:20 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

रविवार, 12 फरवरी
सुबह 11:00 से 12:00 बजे तक

वाईएसएस/एसआरएफ़ के अध्यक्ष श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि
के साथ उद्घाटन कार्यक्रम

संगम का उद्घाटन सत्र वाईएसएस/एसआरएफ़ के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा एक प्रेरणाप्रद प्रवचन के साथ आरम्भ हुआ। स्वामीजी ने आध्यात्मिक नवीनीकरण और उत्थान के पांच दिवसीय कार्यक्रम में भारत और दुनियाभर के भक्तों का स्वागत किया और जीवन की चुनौतियों से जूझने और अपनी उच्चतम क्षमता तक पहुंचने की प्रेरणा को साझा किया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

रविवार, 12 फरवरी
शाम 2:00 से 2:25 बजे तक

वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष के उद्घाटन प्रवचन का अनुवाद
(हिंदी, तमिल, और तेलुगु में उपलब्ध)

इस सत्र के दौरान वाईएसएस संन्यासियों ने स्वामी चिदानन्दजी द्वारा संगम प्रतिभागियों के लिए दिए गए उद्घाटन प्रवचन का तीन भाषाओं — हिंदी, तमिल और तेलुगु — में  अनुवाद प्रस्तुत किया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं किया गया।

रविवार, 12 फरवरी
शाम 2:30 से 4:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम का पुनरवलोकन
(अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु में)

इस पुनरवलोकन कक्षा में परमहंस योगानन्दजी द्वारा सिखाई गई क्रियायोग पथ की मूल प्रविधिओं में से एक — शक्ति-संचार व्यायाम — पर निर्देश एवं व्याख्या शामिल थे।

इस कक्षा में यह सिखाया गया कि कैसे इच्छाशक्ति द्वारा ब्रह्मांडीय ऊर्जा से शरीर एवं मन को अनुप्राणित कर, तनाव से मुक्त, और शरीर को शुद्ध और बलशाली बनाकर, ध्यान में ऊर्जा को अधिक आसानी से भीतर की ओर निर्देशित किया जाए जिससे चेतना की उच्चतर अवस्थाओं तक पहुँच संभव हो सके।

यह कार्यक्रम, जिसका सीधा प्रसारण नहीं हुआ, का आयोजन अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु भाषाओं में किया गया।

रविवार, 12 फरवरी
शाम 5:30 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। मौन ध्यान की अवधियाँ साधारणतया 45 मिनट की थीं। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

दूसरा दिन

सोमवार, 13 फरवरी
सुबह 7:00 से 8:20 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

सोमवार, 13 फरवरी
सुबह 9:30 से 10:30 बजे तक

हं-स: प्रविधि का पुनरवलोकन
(अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु में)

हं-स: की यह प्राचीन और शक्तिशाली प्रविधि मन की एकाग्रता की अन्तर्निहित शक्तियों को विकसित करने में सहायता करती है। नियमित अभ्यास से व्यक्ति बाहरी विकर्षणों से विचार और ऊर्जा को वापस लाना सीखता है जिससे उन्हें किसी भी लक्ष्य या समस्या के समाधान पर या आत्म-साक्षात्कार प्राप्ति हेतु निर्देशित किया जा सके।

यह कार्यक्रम, जिसका सीधा प्रसारण नहीं हुआ, का आयोजन अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु भाषाओं में किया गया।

सोमवार, 13 फरवरी
सुबह 11:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

“क्षमा की आरोग्यकारी शक्ति” पर प्रेरणाप्रद सत्संग
(अंग्रेज़ी और हिंदी में)

“चाहे किसी भी प्रकार की हानि क्यों न की गई हो, मनुष्य को क्षमा कर देना चाहिए । कहा गया है कि मनुष्य की क्षमाशीलता के कारण ही मानवजाति का अस्तित्व निरन्तर बना हुआ है। क्षमा ही शक्तिमानों की शक्ति है।”

इन शब्दों के साथ, महाभारत में इस बात पर बल दिया गया है कि हमारी हानि करने वालों को क्षमा करना कितना महत्त्वपूर्ण है। जो व्यक्ति क्षमा करता है वह स्फूर्तिदायक स्वतंत्रता एवं पवित्रता का अनुभव करता है। यह सत्संग इस बात पर बल देता है कि आंतरिक शांति और अक्षोभ के द्वार खोलने के साथ-साथ क्षमा किए जाने वाले मनुष्य की तुलना में क्षमा करने वाले के लिए इस दिव्य गुण का अभ्यास करना अधिक लाभदायक है।

हमारे संन्यासियों के द्वारा इस विषय पर अंग्रेज़ी तथा हिंदी में सत्संग दिया गया।

स्वामी स्मरणानन्द गिरि के अंग्रेज़ी सत्संग का सीधा प्रसारण किया गया।

सोमवार, 13 फरवरी
शाम 2:30 से 3:30 बजे तक

“आंतरिक और बहरी जीवन में शांति का युवराज बनना” पर प्रेरणाप्रद सत्संग
(अंग्रेज़ी और हिंदी में)

परमहंसजी कहते हैं: “शांत रूप से सक्रिय और सक्रिय रूप से शांत होना — शांति के सिंहासन पर बैठे संतुलन के युवराज द्वारा, गतिविधि के साम्राज्य को निर्देशित करना — आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ होना है।” यह सत्संग इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे हम शांति का अपने अंतर में सृजन कर सकते हैं, और अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्ण ढंग से पालन करते हुए गहरे ध्यान के अनुभवों को अपने दैनिक जीवन में बनाये रख सकते हैं। साथ ही, हर पल ईश्वर के साथ तादात्मय के सचेत मानसिक प्रयास से, और प्रेम, सद्भावना और सद्भाव के विचारों को प्रेषित कर, हम अपने आंतरिक शांति के गढ़ को कैसे और दृढ़ बना सकते हैं।

हमारे संन्यासियों के द्वारा इस विषय पर अंग्रेज़ी तथा हिंदी में सत्संग दिया गया।

स्वामी शुद्धानन्द गिरि के अंग्रेज़ी सत्संग का सीधा प्रसारण किया गया।

सोमवार, 13 फरवरी
शाम 4:40 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम
तथा
स्वामी चिदानन्द गिरिजी के साथ विशेष लम्बा ध्यान

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि इस संगम के दौरान तीन घंटे के एक विशेष ध्यान में शामिल हुए। स्वामी चिदानन्दजी ने परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं के मूल में स्थित ध्यान से प्राप्त होने वाले शांति और आनन्द के अनुभव को साझा करने के लिए भारत एवं विश्वभर के वाईएसएस/एसआरएफ़ भक्तों और मित्रों के लिए निर्देशित ध्यान का संचालन किया।

ध्यान से पूर्व शक्ति-संचार व्यायाम का सामूहिक अभ्यास किया गया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

तीसरा दिन

मंगलवार, 14 फरवरी
सुबह 7:00 से 8:20 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

मंगलवार, 14 फरवरी
सुबह 9:30 से 10:30 बजे तक

ओम् प्रविधि का पुनरवलोकन
(अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु में उपलब्ध)

एक बार जब छात्र हं-सः प्रविधि के अभ्यास के माध्यम से शरीर को विश्रांति की अवस्था में ले जाना और मन को केंद्रित करना सीख लेता है, तो ध्यान की यह उन्नत ओम् प्रविधि शरीर और मन की सीमाओं से परे चेतना को अपनी अनंत क्षमता के आनंदमय बोध तक विस्तारित करती है।

इस पुनरवलोकन कक्षा में परमहंस योगानन्दजी द्वारा सिखाई गई क्रियायोग पथ की मूल प्रविधिओं में से एक — ओम् प्रविधि — पर निर्देश एवं व्याख्या शामिल थे।

यह कार्यक्रम, जिसका सीधा प्रसारण नहीं हुआ, का आयोजन अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु भाषाओं में किया गया।

मंगलवार, 14 फरवरी
सुबह 11:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

“ईश्वर आपके उतने ही निकट हैं जितना निकट आपके विचार उन्हें आने देते हैं” पर प्रेरणाप्रद सत्संग
(अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु में उपलब्ध)

दया माताजी कहती हैं: “याद रखें कि ईश्वर आपके उतने ही निकट हैं जितना निकट आपके विचार उन्हें आने देते हैं। वह सर्वव्यापी हैं। यदि इसी क्षण आप यह स्वीकार कर लें कि वे आपके साथ हैं, आपकी बंद आँखों के ठीक पीछे, तो आप उनकी निकटता को अनुभव करेंगे।” जब आपको यह विश्वास होता है कि ईश्वर केवल एक विचार की दूरी पर हैं, और सदा हमारे प्रति प्रेमपूर्वक सचेत रहते हैं, तो हम और कितनी बार उनकी ओर मुड़ेंगे और उनकी संगति में आनन्दित होंगे?

हमारे संन्यासीगण इस विषय पर अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल और तेलुगु में सत्संग देंगे।

स्वामी श्रद्धानन्द गिरि के अंग्रेज़ी सत्संग का सीधा प्रसारण किया गया।

मंगलवार, 14 फरवरी
शाम 2:30 से 3:30 बजे तक

“ध्यान के माध्यम से शक्ति और ज्ञान के आंतरिक स्रोत का दोहन” पर प्रेरणाप्रद सत्संग
(अंग्रेज़ी और हिंदी में)

जीवन के दिन-प्रतिदिन के तनाव और दबावों से अभिभूत होना एवं दूसरों और समाज द्वारा हमारे प्रति अपेक्षाओं से हमारा अपने दिव्य लक्ष्य से विचलित हो जाना आसान है। लेकिन हमारे भीतर पहले से ही सर्व-सांत्वना देने वाली शांति, ज्ञान और प्रसन्नता है। हमें केवल परमहंस योगानन्दजी द्वारा सिखाए गए योग के वैज्ञानिक और सार्वभौमिक मार्ग द्वारा दैनिक ध्यान का अभ्यास करने की आवश्यकता है जिसकी सहायता से हम इस छुपे हुए स्त्रोत तक पहुँच सकें।

हमारे संन्यासियों ने इस विषय पर अंग्रेज़ी और हिंदी में सत्संग दिया।

स्वामी कमलानन्द गिरि के अंग्रेज़ी सत्संग का सीधा प्रसारण किया गया।

मंगलवार, 14 फरवरी
शाम 5:30 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। मौन ध्यान की अवधियाँ साधारणतया 45 मिनट की थीं। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

चौथा दिन

बुधवार, 15 फरवरी
सुबह 8:00 से दोपहर 12:00 बजे तक

क्रियायोग दीक्षा
(अंग्रेज़ी और हिंदी में)

सभी वाईएसएस/एसआरएफ़ क्रियावान भक्त, एवं वे भक्त जो क्रियायोग दीक्षा प्राप्त करने के योग्य पाए गए, उन्हें क्रियायोग दीक्षा समारोह में शामिल होने की अनुमति दी गयी। वे सभी क्रियावान भक्त जो समारोह में शामिल होने के इच्छुक थे, उनसे अनुरोध किया गया कि वे क्रिया पंजीकरण काउंटर से अपने प्रवेश पत्र प्राप्त कर समारोह में उपस्थित हों।

यह कार्यक्रम एक ही समय पर अंग्रेज़ी एवं हिंदी में, आयोजन स्थल के कई हॉल में आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं किया गया।

बुधवार, 15 फरवरी
सुबह 9:30 से 11:00 बजे तक

जो भक्त क्रियावान नहीं हैं उनके लिए ध्यान एवं सत्संग
(अंग्रेज़ी में)

एक वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन एवं परमहंस योगानन्दजी की “आदर्श-जीवन” शिक्षाओं पर एक सत्संग दिया गया।

इइस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं किया गया।

बुधवार, 15 फरवरी
शाम 2:30 से 4:00 बजे तक

क्रियायोग पुनरवलोकन कक्षा
(अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु में उपलब्ध)

सभी वाईएसएस एवं एसआरएफ़ क्रियावान भक्तों को क्रियायोग पुनरवलोकन कक्षा में भाग लेने की अनुमति दी गयी। यह कक्षा एक ही समय पर अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में आयोजित की गयी।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं किया गया।

बुधवार, 15 फरवरी
शाम 2:30 से 3:30 बजे तक

जो भक्त क्रियावान नहीं हैं उनके लिए सत्संग
(हिंदी में)

एक वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन एवं परमहंस योगानन्दजी की “आदर्श-जीवन” शिक्षाओं पर एक सत्संग दिया गया।

इइस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं किया गया।

बुधवार, 15 फरवरी
शाम 5:30 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा कीर्तन सहित ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। मौन ध्यान की अवधियाँ साधारणतया 45 मिनट की थीं। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

पांचवां दिन

गुरुवार, 16 फरवरी
सुबह 7:00 से 8:20 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

गुरुवार, 16 फरवरी
सुबह 9:30 से 11:00 बजे तक

समापन कार्यक्रम तथा वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष
श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा प्रेरणाप्रद सत्संग

परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं में पांच दिनों तक तन्मय रहने के बाद, वे सभी जो इस विशेष कार्यक्रम में सम्मिलित हुए, दिव्य उपस्थिति की उस साकार भावना को बनाए रखने के लिए तत्पर रहेंगे — आशीर्वाद जो ऐसे संगम की पहचान हैं। समापन सत्संग में, स्वामी चिदानन्दजी ने बताया कि कैसे संगम में ग्रहण की हुई प्रेरणा को अपने दैनिक जीवन में उतारें एवं परमहंसजी द्वारा दी गई साधना का पालन करें जिससे वास्तव में संतुलित जीवन व्यतीत किया जा सके और ईश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध का अनुभव किया जा सके।

स्वामीजी के प्रवचन से पहले भक्तिमय कीर्तन सत्र का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

गुरुवार, 16 फरवरी
शाम 2:30 से 3:00 बजे तक

वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष के समापन सत्संग का अनुवाद
(हिंदी, तमिल, और तेलुगु में उपलब्ध)

इस सत्र के दौरान वाईएसएस संन्यासियों ने स्वामी चिदानन्दजी द्वारा संगम प्रतिभागियों के लिए दिए गए समापन सत्संग का तीन भाषाओं — हिंदी, तमिल और तेलुगु — में अनुवाद प्रस्तुत किया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं किया गया।

गुरुवार, 16 फरवरी
शाम 5:30 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। मौन ध्यान की अवधियाँ साधारणतया 45 मिनट की थीं। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

सीधा प्रसारण

पहला दिन

रविवार, 12 फरवरी
सुबह 7:05 से 8:20 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

रविवार, 12 फरवरी
सुबह 11:00 से 12:00 बजे तक

वाईएसएस/एसआरएफ़ के अध्यक्ष श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि
के साथ उद्घाटन कार्यक्रम

संगम का उद्घाटन सत्र वाईएसएस/एसआरएफ़ के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा एक प्रेरणाप्रद प्रवचन के साथ आरम्भ हुआ। स्वामीजी ने आध्यात्मिक नवीनीकरण और उत्थान के पांच दिवसीय कार्यक्रम में भारत और दुनियाभर के भक्तों का स्वागत किया और जीवन की चुनौतियों से जूझने और अपनी उच्चतम क्षमता तक पहुंचने की प्रेरणा को साझा किया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

रविवार, 12 फरवरी
शाम 5:35 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम एवं ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। मौन ध्यान की अवधियाँ साधारणतया 45 मिनट की थीं। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

दूसरा दिन

सोमवार, 13 फरवरी
सुबह 7:05 से 8:20 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

सोमवार, 13 फरवरी
सुबह 11:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

“क्षमा की आरोग्यकारी शक्ति” पर प्रेरणाप्रद सत्संग
(अंग्रेज़ी और हिंदी में)

“चाहे किसी भी प्रकार की हानि क्यों न की गई हो, मनुष्य को क्षमा कर देना चाहिए । कहा गया है कि मनुष्य की क्षमाशीलता के कारण ही मानवजाति का अस्तित्व निरन्तर बना हुआ है। क्षमा ही शक्तिमानों की शक्ति है।”

इन शब्दों के साथ, महाभारत में इस बात पर बल दिया गया है कि हमारी हानि करने वालों को क्षमा करना कितना महत्त्वपूर्ण है। जो व्यक्ति क्षमा करता है वह स्फूर्तिदायक स्वतंत्रता एवं पवित्रता का अनुभव करता है। यह सत्संग इस बात पर बल देता है कि आंतरिक शांति और अक्षोभ के द्वार खोलने के साथ-साथ क्षमा किए जाने वाले मनुष्य की तुलना में क्षमा करने वाले के लिए इस दिव्य गुण का अभ्यास करना अधिक लाभदायक है।

हमारे संन्यासियों के द्वारा इस विषय पर अंग्रेज़ी तथा हिंदी में सत्संग दिया गया।

स्वामी स्मरणानन्द गिरि के अंग्रेज़ी सत्संग का सीधा प्रसारण किया गया।

सोमवार, 13 फरवरी
शाम 2:30 से 3:30 बजे तक

“आंतरिक और बहरी जीवन में शांति का युवराज बनना” पर प्रेरणाप्रद सत्संग
(अंग्रेज़ी और हिंदी में)

परमहंसजी कहते हैं: “शांत रूप से सक्रिय और सक्रिय रूप से शांत होना — शांति के सिंहासन पर बैठे संतुलन के युवराज द्वारा, गतिविधि के साम्राज्य को निर्देशित करना — आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ होना है।” यह सत्संग इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे हम शांति का अपने अंतर में सृजन कर सकते हैं, और अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्ण ढंग से पालन करते हुए गहरे ध्यान के अनुभवों को अपने दैनिक जीवन में बनाये रख सकते हैं। साथ ही, हर पल ईश्वर के साथ तादात्मय के सचेत मानसिक प्रयास से, और प्रेम, सद्भावना और सद्भाव के विचारों को प्रेषित कर, हम अपने आंतरिक शांति के गढ़ को कैसे और दृढ़ बना सकते हैं।

हमारे संन्यासियों के द्वारा इस विषय पर अंग्रेज़ी तथा हिंदी में सत्संग दिया गया।

स्वामी शुद्धानन्द गिरि के अंग्रेज़ी सत्संग का सीधा प्रसारण किया गया।

सोमवार, 13 फरवरी
शाम 4:45 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम
तथा
स्वामी चिदानन्द गिरिजी के साथ विशेष लम्बा ध्यान

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि इस संगम के दौरान तीन घंटे के एक विशेष ध्यान में शामिल हुए। स्वामी चिदानन्दजी ने परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं के मूल में स्थित ध्यान से प्राप्त होने वाले शांति और आनन्द के अनुभव को साझा करने के लिए भारत एवं विश्वभर के वाईएसएस/एसआरएफ़ भक्तों और मित्रों के लिए निर्देशित ध्यान का संचालन किया।

ध्यान से पूर्व शक्ति-संचार व्यायाम का सामूहिक अभ्यास किया गया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

तीसरा दिन

मंगलवार, 14 फरवरी
सुबह 7:05 से 8:20 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

मंगलवार, 14 फरवरी
सुबह 11:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

“ईश्वर आपके उतने ही निकट हैं जितना निकट आपके विचार उन्हें आने देते हैं” पर प्रेरणाप्रद सत्संग
(अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, और तेलुगु में उपलब्ध)

दया माताजी कहती हैं: “याद रखें कि ईश्वर आपके उतने ही निकट हैं जितना निकट आपके विचार उन्हें आने देते हैं। वह सर्वव्यापी हैं। यदि इसी क्षण आप यह स्वीकार कर लें कि वे आपके साथ हैं, आपकी बंद आँखों के ठीक पीछे, तो आप उनकी निकटता को अनुभव करेंगे।” जब आपको यह विश्वास होता है कि ईश्वर केवल एक विचार की दूरी पर हैं, और सदा हमारे प्रति प्रेमपूर्वक सचेत रहते हैं, तो हम और कितनी बार उनकी ओर मुड़ेंगे और उनकी संगति में आनन्दित होंगे?

हमारे संन्यासीगण इस विषय पर अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल और तेलुगु में सत्संग देंगे।

स्वामी श्रद्धानन्द गिरि के अंग्रेज़ी सत्संग का सीधा प्रसारण किया गया।

मंगलवार, 14 फरवरी
शाम 2:30 से 3:30 बजे तक

“ध्यान के माध्यम से शक्ति और ज्ञान के आंतरिक स्रोत का दोहन” पर प्रेरणाप्रद सत्संग
(अंग्रेज़ी और हिंदी में)

जीवन के दिन-प्रतिदिन के तनाव और दबावों से अभिभूत होना एवं दूसरों और समाज द्वारा हमारे प्रति अपेक्षाओं से हमारा अपने दिव्य लक्ष्य से विचलित हो जाना आसान है। लेकिन हमारे भीतर पहले से ही सर्व-सांत्वना देने वाली शांति, ज्ञान और प्रसन्नता है। हमें केवल परमहंस योगानन्दजी द्वारा सिखाए गए योग के वैज्ञानिक और सार्वभौमिक मार्ग द्वारा दैनिक ध्यान का अभ्यास करने की आवश्यकता है जिसकी सहायता से हम इस छुपे हुए स्त्रोत तक पहुँच सकें।

हमारे संन्यासियों ने इस विषय पर अंग्रेज़ी और हिंदी में सत्संग दिया।

स्वामी कमलानन्द गिरि के अंग्रेज़ी सत्संग का सीधा प्रसारण किया गया।

मंगलवार, 14 फरवरी
शाम 5:35 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। मौन ध्यान की अवधियाँ साधारणतया 45 मिनट की थीं। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

चौथा दिन

बुधवार, 15 फरवरी
शाम 5:35 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा कीर्तन सहित ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। मौन ध्यान की अवधियाँ साधारणतया 45 मिनट की थीं। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

पांचवां दिन

गुरुवार, 16 फरवरी
सुबह 7:05 से 8:20 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

गुरुवार, 16 फरवरी
सुबह 9:30 से 11:00 बजे तक

समापन कार्यक्रम तथा वाईएसएस/एसआरएफ़ अध्यक्ष
श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा प्रेरणाप्रद सत्संग

परमहंस योगानन्दजी की शिक्षाओं में पांच दिनों तक तन्मय रहने के बाद, वे सभी जो इस विशेष कार्यक्रम में सम्मिलित हुए, दिव्य उपस्थिति की उस साकार भावना को बनाए रखने के लिए तत्पर रहेंगे — आशीर्वाद जो ऐसे संगम की पहचान हैं। समापन सत्संग में, स्वामी चिदानन्दजी ने बताया कि कैसे संगम में ग्रहण की हुई प्रेरणा को अपने दैनिक जीवन में उतारें एवं परमहंसजी द्वारा दी गई साधना का पालन करें जिससे वास्तव में संतुलित जीवन व्यतीत किया जा सके और ईश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध का अनुभव किया जा सके।

स्वामीजी के प्रवचन से पहले भक्तिमय कीर्तन सत्र का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

गुरुवार, 16 फरवरी
शाम 5:35 से 8:00 बजे तक

शक्ति-संचार व्यायाम तथा ध्यान

यह सत्र शक्ति-संचार व्यायाम के अभ्यास के साथ आरंभ हुआ जिसके बाद वाईएसएस संन्यासी के द्वारा ध्यान का संचालन किया गया। ध्यान-सत्र की शुरुआत प्रार्थना के साथ हुई, और इसमें चैंटिंग एवं मौन ध्यान शामिल थे। मौन ध्यान की अवधियाँ साधारणतया 45 मिनट की थीं। इसका समापन परमहंस योगानन्दजी की आरोग्यकारी प्रविधि के अभ्यास एवं प्रार्थना के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया।

आपके सहयोग की आवश्यकता है

इतने विशाल पांच दिवसीय समारोह को किसी बाहरी स्थान पर आयोजित करने में काफी अधिक खर्च होता है। संगम में शामिल होने वाले प्रत्येक भक्त पर कुल अनुमानित खर्च ₹ 12,000 है। फिर भी सब्सिडी देकर रजिस्ट्रेशन शुल्क को ₹ 4,000 तक ही रखा गया जिससे खर्च की वजह से इच्छुक भक्तजन संगम में शामिल होने से वंचित न रह जाएँ।

इसे ध्यान में रखते हुए हम आप में से उन भक्तजनों से सहयोग का अनुरोध करते हैं जिनके पास इस खर्च को वहन करने में हमारी सहायता करने का सामर्थ्य है। उन भक्तों के हम विशेष आभारी होंगे जो एक बड़ी राशि का दान कर हमें इस सब्सिडी को सभी भक्तों के लिए उपलब्ध कराने में हमारे सहायक होंगे, जिसके द्वारा हम गुरुदेव के आतिथ्य को उनके इस विशाल आध्यात्मिक परिवार के सभी सदस्यों तक पहुंचा सकें।

हम आपकी आध्यात्मिक उन्नति, और आंतरिक आनंद और शांति के प्रति अधिक जागरुक होने के लिए प्रार्थना करते हैं।

पूछताछ के लिए संपर्क विवरण

योगदा सत्संग शाखा मठ — रांची
परमहंस योगानन्द पथ
रांची 834001
झारखंड

फोन: (0651) 6655 555
(सोम-शनि, सुबह 9:30 बजे – शाम 4:30 बजे)

ईमेल: helpdesk@yssi.org

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