क्रिसमस ऋतु का पावन प्रकाश और आनंद, ईश्वरीय प्रेम की नूतन जागृति और इसकी रूपांतरकारी व आपके जीवन और विश्व में सामंजस्यकारी शक्ति में आस्था आपके हृदय का उत्थान करे। अपने हृदयों को, प्रियतम प्रभु जीसस द्वारा प्रदर्शित दिव्यगुणों के प्रति, विशेष प्रयत्नों द्वारा खोल कर इस बाहरी उत्सव काल के पावन आयाम को, हम में से प्रत्येक, सुनिश्चित रूप से अपने अंदर अनुभव कर सकता है — और विशेषकर गहन ध्यान द्वारा, जैसाकि हमारे गुरु परमहंस योगानन्दजी का आग्रह था, हम अपनी चेतना में सार्वभौमिक क्राइस्ट-प्रेम एवं प्रकाश को ग्रहण करें। उस प्रयास में अपनी भक्ति को जोड़ कर इस पावन ऋतु में — इस संसार में हम जहाँ कहीं भी हों — हम क्रिसमस के वास्तविक आशीर्वाद को भरपूर रूप में प्राप्त करेंगे।
जीसस क्राइस्ट व अन्य महात्माओं के माध्यम से, ईश्वर इस संसार में मानव रूप में प्रकट होते हैं कि हमारे दुःख-सुख बाँट सकें, हमारे संघर्षों में करुणामय सहायता देने और अपने उदाहरण द्वारा हमारे अंदर साहस एवं निश्चय जागृत करते हैं कि हम अपनी दिव्य विरासत को वापिस प्राप्त कर सकें। जैसाकि गुरुजी ने हमसे कहा, “हमारी अपनी चेतना में क्राइस्ट चेतना के जन्म को अनुभव करना ही, क्रिसमस को सच्चे रूप में मनाना है।” यह क्रिसमस आपके लिए एक नई शुरुआत हो सकती है अपने दीन मनुष्य होने के स्वप्न से अपनी आत्मा की जन्मजात दिव्यता की सच्चाई में जाग्रत होकर। कोई भी सीमित करने वाले विचार या आदतें जो आपको रोकती हैं, वे माया द्वारा आपकी चेतना पर थोपे गए भ्रामक स्वप्न हैं। वे आपकी इच्छाशक्ति और ईश्वर के आशीर्वाद की शक्ति द्वारा भंग कर दिए जाएँगे, यदि आप चेतना का धैर्यपूर्वक और स्थिर रूप से — क्राइस्ट व महान् विभूतियों द्वारा दिखाए गए विनम्रता, प्रेम और दिव्य वार्तालाप की राहों का विस्तार करते रहें। यदि आप ईश्वर में आस्था रखते हुए, अपने मन व हृदय को भय और चिन्ताओं से मुक्त करेंगे आपकी चेतना में ठहराव और क्राइस्ट-शान्ति का प्रवाह होने लगेगा — जो ईश्वर की सहायक शक्ति एवं स्वास्थ्यप्रद प्रकाश का आंतरिक आश्वासन साथ लाएगा। और दूसरों के प्रति प्रेम और करुणा से, उनमें अच्छाई देखने और प्रोत्साहित करने और जीसस की तरह निःस्वार्थ सेवा में आनंद पाने के आपके प्रत्येक प्रयत्न से, आप उस अनंत के साथ आंतरिक प्रसन्नता और समस्वरता खोज लेंगे जिसके बारे में परमहंसजी संकेत कर रहे थे जब उन्होंने कहा, “प्रत्येक अच्छे विचार में क्राइस्ट का गुप्त गृह है।”
सार्वभौमिक क्राइस्ट हममें निवास करते हैं जब हम अपने जीवन में ईश्वर के दिव्य गुणों को प्रतिबिम्बित करने का प्रयास करते हैं। लेकिन उस अनंत चेतना की सच्चाई को पूर्णतः अनुभव करने के लिए हमें अपनी आत्मा की गहराई में मौन वार्तालाप के पावन मन्दिर में प्रवेश करना होगा, जहाँ हमारे अस्तित्व को भिगोती उनके प्रेम की रूपांतरकारी शक्ति को अनुभव कर सकें। यह परमपिता के साथ वही आंतरिक वार्तालाप था जिसने क्राइस्ट को अपने मिशन को पूरा करने की शक्ति व साहस प्रदान किया और वह प्रेम जो समस्त मर्त्य सीमाओं का अतिक्रमण कर सका। प्रत्येक आत्मा जो अंतर में उस दिव्य उपस्थिति को अनुभव करना, और सभी में ईश्वर को देखना आरम्भ कर देती है, क्राइस्ट चेतना के उस महान् प्रकाश का चैतन्य अंग बन जाती है जिसे जीसस ने जिया — एक प्रकाश जिसमें अधिकाधिक आत्माओं को ईश्वरीय प्रेम के यथार्थ आलिंगन में खींचकर इस संसार में बृहतर समरसता और मंगल कामना लाने की शक्ति है।
इस क्रिसमस पर, ईश्वर से उस दिव्य प्रेम के बोध का आशीर्वाद आपको और आपके परिजनों को प्राप्त हो
स्वामी चिदानन्द गिरि
अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया/सेल्फ़-रियलाइजे़शन फ़ेलोशिप