भारतीय उच्च अधिकारियों द्वारा ट्रेन का नाम बदल कर परमहंस योगानन्दजी को सम्मानित किया गया।

25 जून, 2015

21 जून को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, परमहंस योगानन्दजी को राँची, भारत—वह शहर जहाँ उन्होंने 1918 में अपना “आदर्श जीवन” विद्यालय और आश्रम स्थापित किया था—और कोलकाता के हावड़ा स्टेशन को जोड़ने वाली एक एक्सप्रेस ट्रेन का नाम बदलकर सम्मानित किया गया। टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के 25 जून के ऑनलाइन संस्करण में छपे एक लेख में बताया गया है कि अब इस ट्रेन का नाम “क्रियायोग एक्सप्रेस” रखा गया है।

झारखण्ड—जिस राज्य में राँची स्थित है—वहाँ के दो सर्वोच्च अधिकारियों ने योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) को अलग-अलग पत्र भेजे, जिसमें उन्होंने योग द्वारा लाए गए व्यावहारिक और गहन परिवर्तनों पर टिप्पणी की तथा विश्व-भर में योग के अनुप्रयोग पर अग्रणी प्रभाव के लिए परमहंस योगानन्दजी के कार्य की सराहना की।

झारखण्ड के मुख्यमंत्री माननीय श्री रघुबर दास ने वाईएसएस राँची आश्रम को निम्नलिखित पत्र भेजा :

“यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने हटिया-हावड़ा-हटिया एक्सप्रेस का नाम बदलकर ‘क्रियायोग एक्सप्रेस’ कर दिया है। इससे परमहंस योगानन्दजी की साधना की भूमि राँची की पहचान में एक नया आयाम जुड़ गया है। इसके लिए मैं हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और हमारे रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। आध्यात्मिक प्रगति, आत्म-अनुशासन और तन-मन की जीवंतता के लिए योग का महत्त्व सर्वविदित है। यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि राँची से शुरू करके परमहंस योगानन्दजी ने भारत और पूरे विश्व में क्रियायोग की अपनी शिक्षाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार किया और पश्चिमी देशों में भी योग के प्रति प्रशंसा जागृत की।

“परमहंस योगानन्दजी के निस्वार्थ प्रयासों के कारण ही विश्व-भर में क्रियायोग के लाखों अनुयायी ईश्वरीय समागम का आनंद अनुभव कर रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से पूरे विश्व ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस उत्साहपूर्वक मनाया। उनके प्रयासों से योग के प्रसार को बढ़ावा मिलेगा।

“मैं भारत और समस्त विश्व में योग की शिक्षाओं के प्रसार के लिए योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया, राँची के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ, तथा इस अवसर पर उनकी त्रैमासिक पत्रिका के सफल प्रकाशन के लिए अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ।”

झारखण्ड की राज्यपाल महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से एक और प्रशंसा पत्र प्राप्त हुआ :

“मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया की पहल पर, रेल मंत्रालय, भारत सरकार ने योग के संदेश को दूर-दूर तक फैलाने के लिए हावड़ा-हटिया-हावड़ा एक्सप्रेस का नाम ‘क्रियायोग एक्सप्रेस’ रखा है।

“योग न केवल स्वस्थ जीवन जीने का सशक्त माध्यम है, बल्कि यह शारीरिक रोगों को भी दूर करता है। यह व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर को ऊर्जा से भर देता है और मन को शांति देता है। योग को बड़े पैमाने पर अपनाकर स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। यह बहुत गर्व की बात है कि हमारे देश की पहल पर पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया और इस अवसर पर आयोजित शिविरों में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

“मैं योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया द्वारा किए जा रहे कार्यों की बहुत सराहना करती हूँ, यह संगठन परमहंस योगानन्दजी द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग के संदेश को फैलाने के लिए स्थापित किया गया था।”

ट्रेन का नया नाम प्रतीकात्मक रूप से उचित है। जिन वर्षों में वे राँची स्कूल और आश्रम की स्थापना कर रहे थे, परमहंसजी अक्सर राँची और कोलकाता के बीच ट्रेन से यात्रा करते थे। उनकी सबसे महत्वपूर्ण यात्रा शायद जुलाई 1920 में हुई थी, जब वे एक दिव्य दर्शन के बाद राँची में ट्रेन में सवार हुए थे, जो यह दर्शाता था कि पश्चिम और इस तरह दुनिया को क्रियायोग से परिचित कराने का नियत समय आ गया है।

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