एक सद्गुरु की सहायता पर परमहंस योगानन्द का बोधप्रद मार्गदर्शन

21 मार्च, 2024

परिचय :

क्या आप आध्यात्मिक मार्ग के दो सार्वभौमिक रूप से सत्य पहलू जानना चाहेंगे?

  1. जब आप गहराई से महसूस करते हैं कि आपके लिए जीवन में पूर्ण आनंद और संतुष्टि के स्थान तक पहुँचना संभव है, तो आप सही हैं
  2. और आप वहाँ अकेले नहीं पहुँच सकते — हम सभी को एक उदाहरण की आवश्यकता होती है, रास्ते पर एक बुद्धिमान मार्गदर्शक की, हमारे दृष्टिकोण से अधिक दूरगामी दृष्टिकोण की।

परमहंस योगानन्दजी की योगी कथामृत  इस वाक्य के साथ प्रारम्भ होती है : “परम सत्य की खोज और उसके साथ जुड़ा गुरु-शिष्य सम्बन्ध प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है।”

अपने पहले शब्दों से — और अपनी संपूर्णता में परमहंसजी की योगी कथामृत उस सर्वोच्च लाभ को प्रकट करती है जो ऐसे व्यक्ति द्वारा निर्देशित होने से मिलता है जो उस आनंदमय जागरूकता में पूरी तरह से स्थापित है जिसे हम सभी खोज रहे हैं।

इसके पहली बार प्रकाशित होने के बाद से ही, यह आध्यात्मिक गौरव ग्रन्थ तेजी से साधकों को एक सच्चे गुरु के कालातीत अर्थ और महत्व से परिचित करा रहा है — और उस प्रत्येक व्यक्ति के लिये जो भी ऐसे गुरु की शिक्षाओं का सम्पूर्ण हृदय से अनुसरण करता है, योग के चिरस्थायी चमत्कार प्रतीक्षा कर रहे हैं।

प्रत्येक मार्च में, हम परमहंसजी और उनके प्रिय गुरु, स्वामी श्रीयुक्तेश्वरजी (इन दो महान् आत्माओं की महासमाधि वर्षगांठ के अवसर पर) के सम्मान में विशेष ध्यान आयोजित करते हैं। और उन विशेष घटनाओं के संबंध में, नीचे परमहंसजी का प्रेरक मार्गदर्शन है कि कैसे संसार में प्रकाश फैलाने और जीवन को बदलने के लिए ईश्वर एक आत्म-साक्षात्कार प्राप्त गुरु के माध्यम से कार्य करते हैं।

परमहंस योगानन्दजी के प्रवचनों एवं लेखन से :

एक सद्गुरु वह होता है जो ईश्वर को जानता है…तथा इस कारण वह अन्य लोगों को उनकी स्वयं की मुक्ति एवं स्वर्गारोहण के मार्ग पर ले जाने में सक्षम होता है।

गुरु आपको अपने अन्तर् में स्थित आत्मा को अनावृत्त करने तथा ब्रह्म में चिरंतन स्वतंत्रता की ओर आरोहण करने में उसके मार्गदर्शन में भी सहायता करता है।

किसी विद्यालय में उपलब्ध धर्मनिरपेक्ष ज्ञान आपको किसी ऐसे शिक्षक से सीखना पड़ेगा, जो इसे जानता है। इसी प्रकार, आध्यात्मिक सत्य को समझने के लिए भी एक आध्यात्मिक शिक्षक अथवा गुरु, जो ईश्वर को जानता है, का होना आवश्यक है। यदि आप उनके शारीरिक सान्निध्य में न भी हो सकें अथवा यदि वे पृथ्वी पर जीवित न भी हों, तब भी आपको यदि ईश्वर को पाना है, तो आपको ऐसे शिक्षक की शिक्षाओं का अवश्य अनुसरण करना चाहिए।

गुरु-शिष्य सम्बन्ध के दिव्य नियम की समझ आवश्यक है। हम इसे भारत में सीखते हैं। यह बहुत सरल, परन्तु बहुत महत्त्वपूर्ण है : पहले, आपको गुरु खोजना होगा, तब वास्तविक आध्यात्मिक उन्नति आरम्भ होती है।

जब आप जीवन की घाटी में अन्धे बनकर उस अन्धकार में ठोकर खाते, लड़खड़ाते चलते रहते हैं तब आपको किसी ऐसे मनुष्य की आवश्यकता होती है जिसकी आँखें हों। आपको गुरु की आवश्यकता होती है। इस जगत् में बने दलदल से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है और वह है किसी ज्ञान प्रकाशित गुरु के पीछे चलना। मुझे जब तक मेरे गुरु नहीं मिले, तब तक मुझे कभी सुख-शान्ति नहीं मिली; वह गुरु जो मेरी आत्मोन्नति में रुचि रखते थे, और जिनके पास मेरा मार्गदर्शन करने के लिए ज्ञानप्रकाश था।

मैंने पूरे भारत में एक सच्चे गुरु की खोज की। मैंने पुस्तकों में खोजा; मैंने एक मन्दिर से दूसरे मन्दिर, एक तीर्थ स्थान से दूसरे तीर्थ स्थान तक यात्रा की; परन्तु मेरे संदेह हर जगह मेरा पीछा करते रहे। लेकिन जब मैंने उस व्यक्ति को पाया जिसे आत्म-साक्षात्कार हुआ था — मेरे गुरु, श्रीयुक्तेश्वरजी — और उनकी आँखों में उस दिव्यता को देखा, तो सभी संदेह दूर हो गए। उनके आशीर्वाद से मेरा पूरा जीवन परिवर्तित हो गया। इसीलिए मैं आपको एक सच्चे गुरु और उनकी शिक्षाओं का पालन करने के महत्व पर बल देता हूँ।

एक सच्चे गुरु को दूसरों के हृदय में स्वयं को स्थापित करने की कोई भी इच्छा नहीं होती, अपितु उनकी चेतना में ईश्वर की चेतना जागृत करने की इच्छा होती है।

मेरे गुरु ने मुझे दिखाया कि ईश्वर के दर्शन करने के लिए स्वयं को एक योग्य मन्दिर बनाने हेतु ज्ञान की छेनी का उपयोग कैसे किया जाए। प्रत्येक व्यक्ति ऐसा कर सकता है यदि वह दिव्य-बोध-सम्पन्न गुरुओं के उपदेशों का पालन करे।

वाईएसएस वेबसाइट पर आप “हमारी आध्यात्मिक खोज में गुरु की भूमिका” पढ़कर आध्यात्मिक पथ के इस अत्यावश्यक पहलू पर परमहंस योगानन्द द्वारा अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। अपने लेखनों के इन अंशों में, परमहंसजी एक साधक और उसके गुरु के बीच विद्यमान अत्यंत उच्च और नितांत व्यक्तिगत सम्बन्ध की व्याख्या करते हैं।

हम आपको वाईएसएस/एसआरएफ़ के वर्तमान और पूर्व अध्यक्षों के अनेक छोटे वीडियो देखने के लिए वाईएसएस ब्लॉग पर एक अन्य पृष्ठ पर जाने के लिए आमंत्रित करते हैं, जिसमें एक सच्चे गुरु की प्रकृति और ऐसे गुरु के साथ हमारी चेतना को कैसे जोड़ा जाए, जो ईश्वर को जानता है, और साधक को उसके अपने आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जा सकता है, के बारे में बताया गया है।

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